भारतीय दर्शन (भाग – 1) भारतीय संस्कृति के इतिहास में दर्शन का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा है। भारत को यदि अध्यात्म और दर्शन की भूमि कहा जाए तो यह बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहाँ पर दर्शन केवल बौद्धिक चिंतन मात्र नहीं रहा, बल्कि जीवन जीने का मार्ग भी बना। पश्चिम में दर्शन को प्रायः ज्ञान की जिज्ञासा या तर्क की कसौटी पर परखा जाता है, जबकि भारतीय दर्शन का मूल उद्देश्य मानव जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है। यही कारण है कि भारतीय दर्शन व्यावहारिक जीवन से सीधा जुड़ा हुआ है और इसकी शिक्षाएँ केवल तर्क या बहस के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति और मुक्ति के लिए हैं। भारतीय दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी एक ही दृष्टिकोण को अंतिम सत्य नहीं माना गया है। यहाँ विविध मार्गों का वर्णन मिलता है, परंतु सबका लक्ष्य एक ही है – आत्मा और परमात्मा का साक्षात्कार। यही कारण है कि भारतीय दर्शन को अक्सर "सर्वे भवन्तु सुखिनः" की भावना से जोड़ा जाता है। --- भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषताएँ भारतीय दर्शन का सबसे बड़ा लक्षण इसकी आध्यात्मिकता है। जहाँ पाश्चात्य दर्शन ज्ञान को साधन म...
Comments
Post a Comment